विदेश नीति क्या है?

जिसे घंटों तक किताबों में समझ नहीं पाए आज चुटकियों में समझ आ जायेगा। तो देर कैसी आइए समझते हैं कि विदेश निति क्या है? थोड़े व्यंग्य के साथ
विदेश नीति क्या है? : Videsh niti kya hai
विदेश नीति क्या है? : Videsh niti kya hai

“विदेश नीति” नामक शब्द आपने अपनी राजनीति शास्त्र की किताबों में तो खूब अध्ययन किया होगा पर वो मामला बचपन से ही सिर के ऊपर से निकलने में सफल रहता है, तो आइए आज जरा “Videsh niti kya hai” समझ लेते हैं सरल शब्दों में इस लेख के माध्यम से! 

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विदेश नीति का अर्थ 

कठिन व अटपटी परिभाषाएं इस्तेमाल करने से पहले हम इसका आम बोलचाल की भाषा में समझ लेते हैं।

 किसी भी देश के व्यवस्थित संचालन व उसके आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक विकास के लिए उसका अन्य देशों से अर्थपूर्ण सम्बन्ध होना उतना ही जरुरी है जितना एक संगठन का अन्य सगंठनों से जरुरी होता है। हालाँकि दोनों का ही उद्देश्य अपना-अपना परस्पर हित होता है इसलिए जो नीतियाँ अपने राष्ट्रहित को देखते हुए अन्यदेशों से स्थापित की जाती हैं वे विदेश नीति कहलाती हैं। इसलिए अच्छे अंतर्राष्ट्रीय संबंध होने के कारण बड़ी आसानी से लोग IELTS (IELTS kya hai) एग्जाम देकर विदेश में चले जाते हैं।

अब बात कर लेते हैं थोड़ी पेचीदा परिभाषाओं की –

विदेश नीति के विशेषज्ञ, जॉर्ज मॉडलस्की जिन्होंने सबसे पहले इसे परिभाषित किया। आइए उनके शब्दों में समझें, “विदेश नीति समुदायों द्वारा विकसित उन क्रियाओं की व्यवस्था है जिसके द्वारा एक राज्य दूसरे राज्यों के व्यवहार को बदलने तथा उनकी गतिविधियों को अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण में ढ़ालने की कोशिश करता है।” 

अब निष्कर्ष में आप कह सकते हैं कि विदेश नीति दो या दो से अधिक देशों के बीच का वह सरकारी सम्बन्ध है जो अंतर्राष्ट्रीय रूप से सामंजस्य बनाकर एक-दूसरे के प्रति काम करते हैं जो प्रत्येक के राष्ट्रहित में होते हैं।   

इसे और अच्छे से समझने की अगर कोशिश की जाए तो हम आपको अर्थशास्त्र के रचयिता चाणक्य के शब्दों में कहेंगे, साम, दाम, दंड भेद।   

यकीनन आप अब समझ गए होंगे कि आधुनिक विश्व में किन पद्धतियों पर एक देश से संबन्ध स्थापित होते हैं।  

क्योंकि विश्व शांति जारी रखते हुए सभी देशों को एक दूसरे से लाभ की आवश्यकता है और जब वह सीधे तौर पर नहीं निकलता तो रूस-यूक्रेन वाली चीजें होती हैं।   

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विदेश नीति किस आधार पर लागू की जाती है?

विदेश नीति को कई आधार पर लागू किया किया जाता है तो आइए इसके निर्धारक तत्वों पर एक नज़र डाल ही लेते हैं।

आकार व भूगोल  के आधार पर 

किस देश के पास कितना क्षेत्रफल है व उसकी भौगोलिक स्थिति कैसी है, इसका सीधा संबंध है कि वो देश विश्व में कैसे उभरेगा।  जैसे रूस के पास बड़ा स्थलीय भाग है पर अधिकांश भाग बर्फ से ढका होने के कारण वह उस भाग का संचालन नहीं कर पाता। और साथ ही कुछ देशो की स्थिति तो ऐसी है कि उनके पास कोई तटीय भाग ही नहीं है।  इसलिए कुछ देश जलीय तो कुछ स्थलीय शक्ति बनकर उभरते हैं और ये सीधा पड़ोसी देशों को प्रभावित करता है। 

जनसँख्या के आधार पर 

किसी देश की जनसंख्या उस देश को वैश्विक तौर पर प्रभावित करती है। आज के समय में भारत व चीन की संख्या आंकड़ों में तो सबसे बड़ी है पर वहीं इतनी बड़ी आबादी का शिक्षा का स्तर व तकनीकी ज्ञान व्यवस्थित करना मुश्किल है।  साथ ही ब्रिटेन व जापान जैसे देशों की छोटी आबादी होने के कारण उनकी साक्षरता का स्तर कहीं ज्यादा है।  तो जहाँ एक ओर बड़े देश बड़ी स्थलीय सैन्य शक्ति का तो वहीँ दूसरी ओर छोटे देश आर्थिक रूप से लाभ प्राप्त करते हैं। 

संसाधनों के आधार पर 

संसाधनों का सीधा संबंघ होता है एक देश की आर्थिक मजबूती से। ठीक वैसे ही जैसे मध्य-पूर्वी देशों में खनिज तेल की प्रचुर मात्रा होने के कारण वे स्वयं ही विश्व शक्ति बन जाते हैं व यही कारण है कि अमेरिका से लेकर सभी छोटे देश भी इन देशों से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहते। 

सैन्य शक्ति के आधार पर

किसी भी देश की सैन्य शक्ति उसके अन्य देशों के संबंधों को बहुत हद तक प्रभावित करती हैं ठीक उसी प्रकार जैसे किसी ताकतवर व्यक्ति से हर कोई बहुत संभाल कर ही कोई छेड़छाड़ करता है।  साथ ही अन्य ताकतवर शक्तियाँ उनसे अर्थपूर्ण संबंध बनाने को सदैव तत्पर रहती हैं। 

संधियों व वैश्विक संबंधों के आधार पर 

किसी देश के अन्य राज्य से कैसे संबंध हैं ये भी विदेश नीति का एक आधारभूत हिस्सा है। इसे ठीक ऐसे ही समझिए जैसे आज जापान के एक आधुनिक शक्ति होने के पीछे अमेरिका जैसी महाशक्ति का हाथ है।  

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तो आज इस लेख के माध्यम से बड़े ही सरल शब्दों में हमने समझा Videsh niti kya hai व ये किस आधार पर एक देश दूसरे देश से स्थापित करते हैं। और इसके साथ ही किस प्रकर उनका सीधा उद्देश्य अपने हित के लिए होता है। 

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