ChatGPT या वृहद रुप में कहें तो AI यानी Artificial Intelligence (कृत्रिम बुद्धि) याद दिलाती है

12वीं कक्षा में पढ़ी हुईं रामधारी सिंह दिनकर की ये  पंक्तियाँ

"सावधान, मनुष्य ! यदि विज्ञान है तलवार, तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मृति के पार"

चौंका देने वाली बात है कि इतने बड़े कवि ने इतने समय पहले ही हमें सतर्क कर दिया था

ये सच है क़ि AI के पास खुद का दिमाग है व खुद को वह डेवेलप करना जानता है

चीन व जापान की रोबोटिक गाड़ियां व नौकर आदि उदाहरण हैं कि विज्ञान ने इंसानों की जगह लेना शुरू कर दिया है

हालाँकि बात रही ChatGPT की तो छोटे बिज़नेस के लिए वो वरदान से कम नहीं

पर वहीँ वो युवाओं की नौकरी भी खाने लगा है

हालाँकि अभी वो इतना विकसित नहीं है कि इंसानों की जॉब पूरी तरह से ले सके

पर हाँ, वो समय भी दूर नहीं इसलिए विकास व विज्ञान ठीक है पर एक हद तक केवल

प्रसिद्ध बिज़नेसमैन एलन मस्क का कथन है,

“अगर AI का कोई लक्ष्य है और मानवता उसके रास्ते में आती है, तो यह मानवता को बिना सोचे-समझे ही नष्ट कर देगा

बिलकुल उसी तरह जैसे, हम सड़क बनाते वक़्त चीटियों के टीलों को नष्ट कर देते हैं,

हम चींटियों से नफरत नहीं करते, हम सिर्फ एक सड़क बना रहे हैं।"