भारतीय नेता काम कैसा भी करें पर उनमें जो कला कूट-कूट के भरी है उसके तो कहने ही क्या
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और उनकी सफ़लता व इतनी प्रसिद्धि होने के पीछे किसी किस्मत का नहीं बल्कि स्वयं उनका ही हाथ है
और उनकी सफ़लता व इतनी प्रसिद्धि होने के पीछे किसी किस्मत का नहीं बल्कि स्वयं उनका ही हाथ है
अब भले ही हमें उनसे कुछ मिले या ना मिले पर हम उनकी लुभावनी कलाएँ तो सीख ही सकते हैं
अब भले ही हमें उनसे कुछ मिले या ना मिले पर हम उनकी लुभावनी कलाएँ तो सीख ही सकते हैं
तो आइए जानते हैं कि भारतीय नेताओं से हम क्या स्किल सीख सकते हैं अपने जीवन में सफल होने के लिए
तो आइए जानते हैं कि भारतीय नेताओं से हम क्या स्किल सीख सकते हैं अपने जीवन में सफल होने के लिए
अगर आपने गौर किया हो तो आप जानेंगे कि वो सक्षम होते हैं अपने शब्दों से एक बड़ी आबादी को लुभाने में
अगर आपने गौर किया हो तो आप जानेंगे कि वो सक्षम होते हैं अपने शब्दों से एक बड़ी आबादी को लुभाने में
ये स्किल कहलाती है "पर्सुएशन" यानी प्रतीतीकरण
ये स्किल कहलाती है "पर्सुएशन" यानी प्रतीतीकरण
और वहीँ बड़े नेता अक्सर अपनी आलोचना से प्रभावित नहीं होते
और वहीँ बड़े नेता अक्सर अपनी आलोचना से प्रभावित नहीं होते
जिससे हमे सीख मिलती है कि हमें खुद पर से नियंत्रण नहीं खोना चाहिए
जिससे हमे सीख मिलती है कि हमें खुद पर से नियंत्रण नहीं खोना चाहिए
इसके साथ ही याद रखें कि आपको हाजिर-जबाबी भी आनी चाहिए
इसके साथ ही याद रखें कि आपको हाजिर-जबाबी भी आनी चाहिए
और अगर इसके साथ आप फैक्ट्स को जोड़ पाएं तो आपकी बात का कोई तोड़ नहीं होगा
और अगर इसके साथ आप फैक्ट्स को जोड़ पाएं तो आपकी बात का कोई तोड़ नहीं होगा
याद रखें अगर आप लॉजिक व तार्किक चीजें कहेंगे तो आप सफल जरूर होंगे
याद रखें अगर आप लॉजिक व तार्किक चीजें कहेंगे तो आप सफल जरूर होंगे
और वहीँ अगर आप बिना सिर-पैर की बात कहेंगे तो आप मात्र एक हँसी का पात्र बनकर रह जाएंगे
और वहीँ अगर आप बिना सिर-पैर की बात कहेंगे तो आप मात्र एक हँसी का पात्र बनकर रह जाएंगे
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