नए छात्रों के लिए चुनौती:  कुछ विदेशी यूनिवर्सिटीज़ में अभी भी नए छात्रों के साथ रैगिंग किया जाता है।

लेकिन छात्रों को इससे घबराना नहीं चाहिए। इससे उन्हें डटकर सामना करना चाहिए।

और यूनिवर्सिटी के प्रिंसपल को इसकी सुचना देनी चाहिए।

सोशल और पीयर प्रेशर:  विदेशी यूनिवर्सिटीज़ में छात्रों के बीच रैगिंग का विस्तार सोशल और पीयर प्रेशर के रूप में भी देखा जा सकता है।

इसमें जूनियर छात्रों के साथ छेड़खानी होती है। इसलिए ऐसे यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने से पहले जानकारी प्राप्त कर लें।

प्रोफेसरों द्वारा अधिकार प्रयास:  कुछ यूनिवर्सिटी में रैगिंग करने वाले छात्रों को दंड दिया जाता है।

और ऐसे छात्रों के परिवार को यूनिवर्सिटी में बुलाकर या तो उनसे फाइन लिया जाता है।

या फिर उन्हें यूनिवर्सिटी से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है।

शिक्षार्थी जीवन पर प्रभाव:  रैगिंग छात्रों के जीवन पर असर डाल सकती है, और उनकी शिक्षा प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।

इससे बचने के लिए आपको सभी छात्रों के साथ अच्छा मेलजोल बनाना पड़ेगा। और पढ़ाई पर ध्यान देना होगा।

सामाजिक और भावनात्मक असुरक्षा:  रैगिंग के दौरान छात्रों को सामाजिक और भावनात्मक असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है।

यह उन्हें मानसिक तनाव, डिप्रेशन में डाल सकता है। इसलिए खुद को मजबूत बनाए रखें।