अगर आप भी सोचते हैं कि भारत व अमेरिका की यूनिवर्सिटी में क्या अंतर है? तो आज हम इस रहस्य से पर्दा उठाएंगे

भारतीय यूनिवर्सिटी में छात्रों को एक कठिन कॉम्पिटिव एग्जाम में पास होने के बाद ही एडमिशन मिलता है वहीँ अमेरिकन यूनिवर्सिटी में आप सीधा अप्लाई कर सकते हैं

अमेरिकन यूनिवर्सिटी में छात्र अपनी पसंद के कोई भी विषय चुन सकते हैं पर भारतीय यूनिवर्सिटी में छात्रों को अक्सर नियमों के अधीन रहना पड़ता है

भारतीय यूनिवर्सिटी में छात्रों को अक्सर पढाई की क्वालिटी से साथ गँवाना पड़ता है किताबी-मेमोरी पद्धति के कारण

वहीँ अमेरिकन यूनिवर्सिटी में पढाई के लिए नई टेक्नोलॉजी व रचनात्मकता का सहारा लिया जाता है जिससे मानसिक व शारीरिक रूप से असमर्थ छात्र भी पढ़ सकते हैं

भारतीय यूनिवर्सिटी की फैकल्टी अक्सर अपने काम में असफल हो जाती है जिससे छात्र यूनिवर्सिटी में पढाई के बजाय बस 70% अटेंडेंस  के लिए आते हैं

वहीँ अमेरिकन यूनिवर्सिटी में देखा गया है कि फैकल्टी काफी एक्टिव होती है और वहां के छात्रों में भी पढ़ने के लिए एक जूनून होता है

भारतीय यूनिवर्सिटी का ऐसा होने के पीछे एक कारण है वो है फंडिंग की कमी चाहे वो हो विश्वविद्यालय, छात्रों, फैकल्टी व रिसर्च या इनोवेशन के लिए

वहीँ अमेरिकन यूनिवर्सिटी में बड़े-बड़े संगठन व सरकार स्वयं अपनी GDP का एक बड़ा भाग देते हैं

आखिर छात्रों के भविष्य का सीधा सम्बन्ध देश के भविष्य से होता है